परमाणु शक्ति-दो विक्ल्प शांती या विनाश :-

आज जब भी कोई अखबार या पत्रिका पढने के लिये उठावो तो एक हि चींता होती है परमाणु, हर रोज नही तो परमाणु बम से जुडी खबरें हफ्ते या महिने मे एक बार तो जरुर प्रकासीत कि जाती हैं. चाहें वो अमेरीका द्वारा इरान के उपर दबाव हो या भारत-अमेरीका परमाणु समझौते पर बना गतिरोध, मानो अखबार वालों को कोई और खबर ही न हो प्रकासीत करने के लिये.नागाशाकी और हिरोशिमा सहर मे जब ये बम गिराया गया था तो उमिद्द से ज्यादा तबाही हुई जो कि उस समय के अल्प विकसीत परमाणु बम का कहर था. मगर आज के अत्याधुनिक विकसीत परमाणु से जो हानी होगी उसकी कल्पना करना भी बहुत हि मुस्किल काम है. परमाणु हि क्यों आज कि छोटी रेंज कि मिसाइलें भी बिना किसी को साथ लिये हजारों मिल दुर फेकी जा सकती हैं मगर हम मनुष्य जिन महाविनाशक हथियारों को जन्म दे रहे हैं क्या उन हथियारो को नियत्रण मे कैसे रखा जाये हमे पता है, और सबसे बडा खतरा इनके गलत हाथो मे पडने से हो सकता है. आपको एक छोटा सा उदाहरण देता हूं नाखुन काटने वाला ब्लेट जो हमारे हाथ के बढे हुवे नाखुन को काटने के काम आता है जिसका सही प्रयोग हमारे नाखुन को काटता है मगर उसी ब्लेट से दुसरा आदमी जो आपसे इर्स्या रखता है आपको चोट भी पहुचा सकता है. ऐसे मे आप दोष किसे देंगें, ब्लेट को या नाखुन को, जाहीर सी बात है उस आदमी को जिसने आपको चोट पहुचाई है. कहने का मतलब अगर परमाणु सक्ति आतंकियों के हाथ चली गयी तो आप और हम क्या कर सकते हैं और इस दुनिया का क्या होगा जिसने परमाणु बनाया और उसी से उसके अस्तित्व को खतरा हो. जिस परमाणु को इन्सान ने जन्म दिया उसे नियंत्रण मे रखना सबसे बडी चुनौती है आज के परमाणु जरुरत से ज्यादा खतरनाक हैं इनके विस्फोट के बाद इससे निकलने वाले कण हवा के साथ जहां तक जायेंगें वहां तक खतरा बना रहता है और दिल्ली जैसे सहर तो परमाणु के गिरने से सिर्फ इतिहास बन जायेंगें. इस से आप इसकी सक्ति का अंदाजा लगा सकते है. और अगर इसका सही इस्तेमाल हो तो भारत जैसे देस बिजली के क्षेत्र मे आत्मनिर्भर हो जायेंगें . (.........शेष अगले अंक मे)

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