भेदभाव कि राजनिती कब तक

नसा अलग-अलग होता है चाहे वो खाने का हो, पढने का हो, स्मोकिंग का हो या मिडीया मे छा जाने का, सब नसा का मतलब अलग होता है. महाराष्ट्र मे राज ठाकरे को हि ले लें तो ठाकरे कि तो बल्ले हो गयी, मिडीया करतुतें और फोटो दोनो हि छाप रही है. ठाकरे हि क्यों उनके कार्यकर्ता भी पिछे क्यों रहेंगें जब Boss ही उल्टे कर्म कर रहा है तो वो भि उत्तर-भारतीयों को मार पिटकर मिडिया मे बने हुवे हैं. जब हर जगह ठाकरे ही ठाकरे हो तो आप भी सोचेंगें कि मै भी उसी की चर्चा कर रहा हू तो ठिक है ठाकरे साहब को छोड मुम्बई पुलिस कि बात करते है तो राजठाकरे तो सिर्फ बयान बाजीयां और मार पिट के लिये अपने पार्टि कार्यकर्ताओ को उकसा रहे है मगर पुलिस ने राहुल राज नामक एक शख्स को सिधे गोली ही मार दी. महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री R.R.पाटील तो यहा तक कहते हैं कि गोली का जवाब गोली से दिया जायेगा. पाटील साहब अगर हम उत्तर-भारतीय भी गोली का जवाब गोली से दें तो आप सोच नही सकते कितना नुकसान होगा जिसकी पुर्ति आपकी सरकार और राज ठाकरे नही कर सकते, मगर ये हम भोजपुरी लोगो कि एक बर्दास्त की एक सिमा हि समझें, अजी भला इस लोकतांत्रीक देस मे कौन किसे रोकता है. केन्द्र और राज्य सरकारें आतंकवादी घटनाऐ नही रोक पा रही हैं.तो हम जनता का भला, क्या खाक होगा. क्रिकेट मे ओवर पर ओवर कमेंट्री भारतीय रेडीयो और टेलिवीजन पर दिखाये और सुनाये जाते हैं मगर वही जब Chess मे भारतीय दिग्ग्ज विश्व नाथन आनंद Chess ख़ेल रहे थे तो सायद न्युज बुलेटीनो मे ही उन्हे दिखाया गया हो.भई ये है मेरा लोकतांत्रीक देस भारत जो दुनिया का सबसे बडा लोकतांत्रीक देस है जहां क्रिकेट के अलावा जनता को कुछ रास हि नहि आता, सायद इसकी वजह मै 65% तक मिडीया को देता हूं.क्रिकेट मे कौन जिता और कौन हारा, धोनी ने कितने रन बनाये, के आलावा कभी हमने ये सोचा ही नही कि सानिया मिर्जा ने टेनिस मे कितना अछ्छा किया, विश्व नाथन आनंद ने Chaimpion Ship जीत ली, दुसरे खेलों के खिलाडीयों को भी हमे उतना ही प्यार देना चाहीये जितना क्रिकेट के खिलाडियों को, अगर अभीनव विन्द्रा ओलम्पिक मे भारत के लिये गोल्ड मेड्ल नही जितते तो सायद हि उन्हे पुरा भारत इतना प्यार देता जितना क्रिकेटरों को मिलता है.

परमाणु शक्ति-दो विक्ल्प शांती या विनाश :-

आज जब भी कोई अखबार या पत्रिका पढने के लिये उठावो तो एक हि चींता होती है परमाणु, हर रोज नही तो परमाणु बम से जुडी खबरें हफ्ते या महिने मे एक बार तो जरुर प्रकासीत कि जाती हैं. चाहें वो अमेरीका द्वारा इरान के उपर दबाव हो या भारत-अमेरीका परमाणु समझौते पर बना गतिरोध, मानो अखबार वालों को कोई और खबर ही न हो प्रकासीत करने के लिये.नागाशाकी और हिरोशिमा सहर मे जब ये बम गिराया गया था तो उमिद्द से ज्यादा तबाही हुई जो कि उस समय के अल्प विकसीत परमाणु बम का कहर था. मगर आज के अत्याधुनिक विकसीत परमाणु से जो हानी होगी उसकी कल्पना करना भी बहुत हि मुस्किल काम है. परमाणु हि क्यों आज कि छोटी रेंज कि मिसाइलें भी बिना किसी को साथ लिये हजारों मिल दुर फेकी जा सकती हैं मगर हम मनुष्य जिन महाविनाशक हथियारों को जन्म दे रहे हैं क्या उन हथियारो को नियत्रण मे कैसे रखा जाये हमे पता है, और सबसे बडा खतरा इनके गलत हाथो मे पडने से हो सकता है. आपको एक छोटा सा उदाहरण देता हूं नाखुन काटने वाला ब्लेट जो हमारे हाथ के बढे हुवे नाखुन को काटने के काम आता है जिसका सही प्रयोग हमारे नाखुन को काटता है मगर उसी ब्लेट से दुसरा आदमी जो आपसे इर्स्या रखता है आपको चोट भी पहुचा सकता है. ऐसे मे आप दोष किसे देंगें, ब्लेट को या नाखुन को, जाहीर सी बात है उस आदमी को जिसने आपको चोट पहुचाई है. कहने का मतलब अगर परमाणु सक्ति आतंकियों के हाथ चली गयी तो आप और हम क्या कर सकते हैं और इस दुनिया का क्या होगा जिसने परमाणु बनाया और उसी से उसके अस्तित्व को खतरा हो. जिस परमाणु को इन्सान ने जन्म दिया उसे नियंत्रण मे रखना सबसे बडी चुनौती है आज के परमाणु जरुरत से ज्यादा खतरनाक हैं इनके विस्फोट के बाद इससे निकलने वाले कण हवा के साथ जहां तक जायेंगें वहां तक खतरा बना रहता है और दिल्ली जैसे सहर तो परमाणु के गिरने से सिर्फ इतिहास बन जायेंगें. इस से आप इसकी सक्ति का अंदाजा लगा सकते है. और अगर इसका सही इस्तेमाल हो तो भारत जैसे देस बिजली के क्षेत्र मे आत्मनिर्भर हो जायेंगें . (.........शेष अगले अंक मे)

एच आई वी और ऐड्स

ऐड्स का पुरा नाम होता है ऐक्वायर्ड इम्युनो डेफिसिएन्सी सिन्ड्रोम (Aquired Immuno Deficiency Syndrome)। एक लाईलाज विमारी है जिसकी रोकथाम जानकारि फैला कर किया जा सकता है। इसे फैलाने वाले वायरस को एच आई वि जिसका पुरा नाम ह्युमन इम्युनो डेफिसिएन्सी वायरस (Human Immunodeficiency Virus) कहतें है . अभी तक एड्स कि कोइ भी कारगर दवा उपल्ब्ध नही है एच आई वि के सरीर मे प्रवेश करने के कई वर्ष बाद एड्स कि स्थिती उतप्न होती है. और धिरे-धिरे हमारे सरीर कि रोगों से लडने कि क्षमता कम हो जाती है. कई विमारीया हमे घेर लेती है यानी विमारियो का एक समुह सा हमारे अन्दर बन जाता है और संक्रमण कि इसी अवस्था को एड्स कहते है.
एच आई वी के प्रकार और और बचाव :-
  • एच आई वी दो प्रकार का होता है १.Hiv1 २.ःइव२
  • एच आई वी-१ सबसे ज्यादा और एच आई वी-२ कम घातक होता है, मगर दोनो हि हमारे सरीर कि रोगों से लडने कि क्षमता कम कर देतें हैं।
  • एच आई वी जब सरीर मे प्रवेष करता है तो वह अपनी संख्या धिरे-धिरे बढाने लगता है जिससे सरीर कि रोगों से लडने कि क्षमता कम हो जाती है।
  • सुरुवाती दिनो के ७ से १० हफ्तों मे इसका पता नही चल पाता है जब आप को लगे कि आप संक्रमीत हैं तो १० या १२ हफ्तों के बाद हि खुन कि जांच करायें।
  • Hiv से लडने वाली दवाओं का सेवन लगातार करें और हां दवा रोजाना खायें कभी-कभी दवा पुरी जिंदगी भर भी खानी पड सकती है। और बिना डाक्टर के सलाह से कुछ भी न करें.

ऐड्स होने के मुख्य कारण :-

  • असुरक्षित योन संबंध बनाने से (मतलब बिना कंडोम के प्रयोग के)
  • संक्रमीत रक्त चढाने से
  • संक्रमीत सुई या सिरिंज के इस्तेमाल से
  • और एच आई वी संक्रमीत मा से उसके होने वाले शिशु को

इनसे एड्स नही होता:-

  • एच आई वी संक्रमीत ब्यक्ति से हाथ मिलाने से
  • साथ खाना खाने से, अलिंगन और चुम्बन से, साथ रहने से
  • एच आई वी संक्रमीत ब्यक्ति के तौलिये से हाथ या मुह पोछने से
  • और मच्छर के काटने से.

रेडीयो टेलिविजन और इंटरनेट से सुचनाऐं लेना

हमारे जीवन मे सुचनाओं का बहुत हि महत्वपुर्ण योगदान है. हमे अगर एक दिन भी सुचना न मिले तो हमारी स्थिती पागलों जैसी हो जाती है. आज तो सुचनायें लेने के कई तरिके हैं जिनमें रेडियो, टेलिवीजन, और इनटरनेट प्रमुख है. इसके अलावा हम पत्र-पत्रिकाओ मे छपने वालि जानकारि, और समाचार तथा लेख महत्वपुर्ण है. समाचार पत्रो मे तो आजकल लगभग हर दुसरे दिन कोई ना कोई परिशि्ष्ट अवस्य प्रकासीत होता है. इनटरनेट से हर रोज लाखो लोग सुचनायें लेते हैं, इसके लिये इनटरनेट का ग्यान होना जरुरी नहि है. लगभग हर वेबसाईट मे एक खोज बाक्स होता है जो कु्छ इस प्रकार होता है. जिसमे ढुढे जाने वाला शब्द भरना होता है और अगर सर्च नामक बट्न है तो उस पर क्लिक किजिये और उस शब्द से रिलेटेड परिणाम आपको दिखाई देने लगता है. अगर ये बटन नहि है तो केवल बोक्स मे शब्द भर कर "एंटर कुन्जी" दबा दें, यानी कम समय मे ज्यादा सुचनाए एकत्र करना. भारत मे पसंद किया जाना वाला रेडियो भी सुचना एकत्रक करने का साधन है. आकाशवाणी, बीबीसी, सीआरआई, और भी न जाने कितने चैनल आपकी रोजमर्या की मनोरनजन और सुचनाओ कि जरुरतो को पुरा करते है. सइसके अलवा ब्लाग भी अब सुचनाओं का बहुत बडा साधन बन रहे हैं.